📅 Mohini Ekadashi 2025 कब है?
इस वर्ष मोहिनी एकादशी व्रत गुरुवार, 8 मई 2025 को मनाया जा रहा है। यह व्रत वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है।
🌸 मोहिनी एकादशी का महत्व
मोहिनी एकादशी को “मोहमाया को हरने वाली” तिथि कहा गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं, और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से पारिवारिक सुख, मानसिक शांति और मोक्ष के लिए किया जाता है।
📖 मोहिनी एकादशी व्रत कथा (Mohini Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक शास्त्रों में वर्णित है कि एक समय धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा, “हे केशव! वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है, इसकी महिमा क्या है और इसके व्रत से क्या फल प्राप्त होता है?”
भगवान श्रीकृष्ण मुस्कराए और बोले:
“हे धर्मराज! इस पुण्यदायिनी एकादशी का नाम मोहिनी एकादशी है। यह व्रत पापों को हरने वाला, मोह से मुक्ति देने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला है। इसका वर्णन स्वयं वशिष्ठ मुनि ने त्रेता युग में भगवान श्रीराम को किया था, जब वह माता सीता की खोज में अत्यंत दुखी और मोहग्रस्त थे।”
🌊 समुद्र मंथन और मोहिनी रूप की कथा:
जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन हुआ, तब मंथन से कई दिव्य वस्तुएँ निकलीं — लेकिन जब अमृत कलश प्रकट हुआ, तो असुरों ने बलपूर्वक उसे हड़प लिया। देवता चिंतित हो उठे। असुरों को अमरता प्राप्त हो जाती, तो संसार में अधर्म बढ़ता।
तब भगवान विष्णु ने एक अद्वितीय उपाय सोचा। उन्होंने एक अद्भुत स्त्री का रूप धारण किया — जिसे मोहिनी कहा गया। यह रूप इतना मोहक और सुंदर था कि असुर सम्मोहित हो गए। उन्होंने बिना विचार किए अमृत बाँटने का कार्य मोहिनी को सौंप दिया।
भगवान विष्णु ने उस रूप में चतुराई से अमृत देवताओं को पिला दिया और असुरों को वंचित कर दिया। इस प्रकार धर्म की रक्षा हुई और अधर्म पर विजय प्राप्त हुई। यही घटना इस बात का प्रतीक बनी कि मोह और माया से छुटकारा केवल भगवान की भक्ति और चातुर्य से ही संभव है।
इसके बाद स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया कि जो भक्त श्रद्धापूर्वक मोहिनी एकादशी का व्रत करता है, वह सभी सांसारिक मोह, पाप, शोक और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर विष्णु लोक को प्राप्त करता है।
👉 यह व्रत केवल शरीर के लिए तप नहीं है, बल्कि आत्मा के विकास, मानसिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी है।
🪔 व्रत विधि (Mohini Ekadashi Vrat Vidhi)
व्रती को दशमी (एक दिन पूर्व) से ही सात्विक भोजन लेना चाहिए।
एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
घर में गंगाजल छिड़क कर शुद्धि करें।
भगवान विष्णु की पीले वस्त्र, फूल, चंदन, तुलसी, धूप-दीप से पूजा करें।
दिनभर निराहार या फलाहार व्रत रखें (जो संभव हो)।
श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
रातभर जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन करवा कर व्रत समाप्त करें।
⚠️ व्रत के नियम (Rules of Mohini Ekadashi):
मांसाहार, प्याज, लहसुन, मदिरा, तामसिक भोजन का त्याग करें।
क्रोध, निंदा, झूठ, छल-कपट से दूर रहें।
संयमित और शांतिपूर्ण दिनचर्या अपनाएं।
🎁 मोहिनी एकादशी व्रत के लाभ:
पूर्व जन्मों के पाप समाप्त होते हैं।
मन को शांति और आत्मा को शुद्धि मिलती है।
मृत्यु के बाद विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
परिवार में सुख-शांति और वैवाहिक जीवन में संतुलन आता है।
🌟 आज क्या करें विशेष? (8 मई 2025 के उपाय)
पीले फूल और पीली मिठाई से श्रीविष्णु का पूजन करें।
तुलसी दल चढ़ाकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
किसी गरीब या ब्राह्मण को पीले वस्त्र या भोजन का दान करें।
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📌 नोट: मोहिनी एकादशी का व्रत केवल शरीर की नहीं, आत्मा की भी शुद्धि के लिए किया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु की भक्ति में लीन होकर करने से जीवन के समस्त संकटों को दूर करता है।