Mumbai Local Train Accident: ओवरक्राउडिंग बना मौत का कारण, मुंब्रा में बड़ा हादसा
हादसा कैसे हुआ?
9 जून 2025 की सुबह लगभग 8:30 बजे, कसारा की ओर जा रही एक फास्ट लोकल ट्रेन जब मुंब्रा और दीवा स्टेशन के बीच पहुंची, तब यह हादसा हुआ। ट्रेन के दरवाज़ों पर पहले से ही भारी भीड़ थी। जैसे ही ट्रेन ने गति पकड़ी, 10 से 12 यात्री संतुलन खो बैठे और पटरी पर गिर गए। इनमें से 4 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 6 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।
घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोगों और स्टेशन स्टाफ ने मिलकर घायलों को अस्पताल पहुँचाया। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर हादसे की तस्वीरें और वीडियो भी साझा कीं, जो तेजी से वायरल हो गईं।
प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ट्रेन में पहले से ही इतनी भीड़ थी कि लोग सांस तक नहीं ले पा रहे थे। एक यात्री ने बताया, “हर दिन की तरह आज भी हम दरवाज़े पर लटक कर यात्रा कर रहे थे। ट्रेन में प्रवेश करना असंभव था। जब ट्रेन तेज़ हुई तो जो लोग दरवाज़े पर थे, वे नीचे गिर गए।”
कई यात्रियों ने सवाल उठाया कि आखिर रेलवे फास्ट लोकल के लिए अतिरिक्त कोच क्यों नहीं जोड़ता? सुबह के व्यस्त समय में सबसे अधिक भीड़ होती है, फिर भी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया।
रेलवे का आधिकारिक बयान
Central Railway के वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि हादसे में कुल 13 लोग घायल हुए हैं। उन्होंने कहा, “हादसे की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं और ट्रेन की स्पीड तथा स्टॉपिंग पैटर्न की समीक्षा की जा रही है।”
रेलवे ने यह भी कहा कि मृतकों के परिवार को अनुग्रह राशि के रूप में ₹5 लाख दिए जाएंगे, जबकि घायलों को मुफ्त चिकित्सा और ₹50,000 तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
घायलों की स्थिति
घायलों को नजदीकी कल्याण सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के अनुसार, तीन की हालत नाजुक बनी हुई है। घायलों में से अधिकतर की उम्र 25 से 40 वर्ष के बीच है और वे डेली कम्यूटर्स हैं।
अस्पताल प्रशासन ने कहा कि समय पर चिकित्सा मिलने से कई लोगों की जान बचाई जा सकी। एक घायल यात्री ने बताया कि वह सिर्फ ऑफिस के लिए निकल रहा था, लेकिन किस्मत ने उसे अस्पताल पहुँचा दिया।
ओवरक्राउडिंग की समस्या
मुंबई लोकल ट्रेनें प्रतिदिन लगभग 75 लाख यात्रियों को सेवा देती हैं। हर साल ओवरक्राउडिंग की वजह से 2,000 से ज्यादा हादसे होते हैं।
- सुबह और शाम के समय भीड़ सबसे ज्यादा होती है।
- फास्ट लोकल स्टेशनों पर कम रुकती है, जिससे वहां भीड़ अधिक होती है।
- ट्रेनों की संख्या कम और मांग बहुत अधिक है।
इन सब कारणों के चलते ही “Mumbai Local Train Accident” जैसी घटनाएं सामने आती हैं।
रेलवे की अगली रणनीति
रेलवे मंत्रालय ने हादसे के बाद बड़ा फैसला लिया है। अब से:
- सभी नई लोकल ट्रेनों में ऑटोमैटिक दरवाजे लगाए जाएंगे।
- पुरानी ट्रेनों को फेज़ वाइज़ अपग्रेड किया जाएगा।
- महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के लिए अलग सुरक्षा दस्ते तैनात किए जाएंगे।
- ट्रेन के स्टॉपिंग टाइम और स्टेशन पर भीड़ नियंत्रण के लिए AI आधारित मॉनिटरिंग की जाएगी।
सुरक्षा पर उठते सवाल
यह हादसा सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है। मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनें अब मौत का सफर बनती जा रही हैं। महिला डिब्बों में पुरुषों की घुसपैठ, कमजोर पुलिसिंग, और तकनीकी संसाधनों की कमी अब नज़रअंदाज़ नहीं की जा सकती।
आरपीएफ की मौजूदगी बढ़ाने, CCTVs को एक्टिव रखने और हेल्पलाइन नंबर को प्रभावी बनाने की मांग जोर पकड़ रही है।
निष्कर्ष
मुंबई लोकल ट्रेन हादसे की यह घटना हमें बताती है कि भीड़ और लापरवाही का नतीजा कितना भयावह हो सकता है। यह सिर्फ एक तकनीकी गलती नहीं बल्कि प्रशासनिक चूक भी है।
जरूरत है व्यापक सुधार की – तकनीक में, निगरानी में और सबसे जरूरी – सोच में।
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