🕉️ अपरा एकादशी 2025: तिथि, व्रत कथा, पूजा विधि और महत्व (Apara Ekadashi 2025 in Hindi)
📅 अपरा एकादशी 2025 कब है? (Apara Ekadashi 2025 Date)
वर्ष 2025 में अपरा एकादशी 23 मई, शुक्रवार को मनाई जा रही है। यह एकादशी ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। यह तिथि भगवान विष्णु की विशेष पूजा के लिए मानी जाती है। इस दिन को अचला एकादशी भी कहा जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ होता है जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार के पापों से मुक्ति चाहते हैं। इस दिन व्रत करने से जीवन में शुद्धता आती है, और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत आत्मा की शुद्धि और आत्मकल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पारण का समय 24 मई 2025, सुबह 5:25 से 8:10 बजे के बीच रहेगा।
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🌼 अपरा एकादशी का महत्व (Significance of Apara Ekadashi)
⏹️ पापों से मुक्ति का पर्व
अपरा एकादशी को हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायक एकादशी माना जाता है। इसे पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति का दिवस कहा जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन विधिपूर्वक उपवास करता है और भगवान विष्णु की आराधना करता है, उसके समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं। चाहे वे पाप पूर्व जन्मों के हों या इस जन्म के, सभी का नाश संभव है। इस दिन किया गया दान, जप, तप और सेवा हजार गुना फलदायी होता है। शास्त्रों में वर्णन है कि यह एकादशी स्वर्ग लोक के द्वार खोलती है और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए उत्तम माना गया है जो पूर्व में किसी कारणवश पाप कर्म में लिप्त रहे हों और अब आत्मशुद्धि के इच्छुक हैं।
⏹️ विष्णु भक्ति का पर्व
भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल और प्रभावशाली उपाय एकादशी व्रत माना गया है। अपरा एकादशी पर विष्णु जी की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन विशेषकर भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, तुलसी पत्र और पंचामृत अर्पित कर पूजन किया जाता है। यह पर्व हमें यह भी सिखाता है कि भक्ति से बड़ा कोई धर्म नहीं और पवित्र हृदय से भगवान को स्मरण करने पर सभी संकट टल जाते हैं।
📖 अपरा एकादशी व्रत कथा (Apara Ekadashi Vrat Katha in Hindi)
⏹️ राजा महीध्वज की कथा
पुराणों के अनुसार, एक बार एक धर्मात्मा और सत्यवादी राजा महीध्वज का छोटा भाई वज्रध्वज उससे ईर्ष्या करने लगा। वज्रध्वज ने क्रोध और द्वेष में आकर अपने बड़े भाई की हत्या कर दी और शव को जंगल में एक पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया। इस अधर्म के कारण राजा महीध्वज की आत्मा प्रेत योनि में भटकने लगी और अत्यंत पीड़ित हो गई। जंगल में उस प्रेतात्मा की कराह सुनकर ऋषि मांडव्य वहां पहुंचे। उन्होंने आत्मा से संवाद किया और उसके जीवन की पूरी कथा जानी। आत्मा की मुक्ति के लिए ऋषि ने अपरा एकादशी का व्रत किया और उस व्रत का पुण्य राजा की आत्मा को अर्पित किया। इससे राजा की आत्मा को प्रेत योनि से मुक्ति मिली और वह विष्णु लोक को प्राप्त हुआ। यह कथा इस बात का प्रमाण है कि अपरा एकादशी का व्रत केवल जीवितों के लिए ही नहीं, अपितु मृत आत्माओं की शांति और उद्धार के लिए भी प्रभावी होता है।
🙏 व्रत विधि और नियम (Apara Ekadashi Vrat Vidhi)
⏹️ प्रातःकाल की तैयारी
इस दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। साफ वस्त्र पहनकर घर के पूजा स्थल को शुद्ध करें। पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें और भगवान विष्णु की मूर्ति को स्नान कराएं। पीले वस्त्र पहनाकर तुलसी, फूल, दीप, धूप, चंदन, फल आदि अर्पित करें। यह व्रत पूरी श्रद्धा और नियमपूर्वक करना चाहिए।
⏹️ पूजन विधि
भगवान विष्णु की पूजा करते समय विशेष मंत्रों का उच्चारण करें जैसे ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और भगवान को पंचामृत से स्नान कराकर भोग लगाएं। पूजा के बाद कथा श्रवण करें और आरती करें। पूरे दिन व्रत रखें और सात्विक आहार पर रहें। संभव हो तो रात को जागरण करें।
⏹️ उपवास नियम
इस दिन पूर्ण उपवास रखने का महत्व है लेकिन जिनसे यह संभव न हो, वे फलाहार कर सकते हैं। अन्न, लहसुन, प्याज, मांस और शराब का सेवन पूर्णतः वर्जित है। द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद पारण करना चाहिए। इस दौरान ब्राह्मण को भोजन कराना और दान देना विशेष पुण्यदायक होता है।
🍽️ अपरा एकादशी पर क्या खाएं और क्या न खाएं? (Apara Ekadashi Food Rules)
अपरा एकादशी पर भोजन संबंधी नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन सात्विक और पवित्र भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। यदि आप निर्जला व्रत नहीं रख पा रहे हैं, तो फलाहार करें। आप फल, दूध, मेवे, साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, कुट्टू का आटा, लौकी, आलू, और सेंधा नमक से बनी वस्तुएं खा सकते हैं। इन चीज़ों का सेवन न केवल शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि व्रत की शुद्धता को भी बनाए रखता है।
वहीं दूसरी ओर, इस दिन चावल, गेहूं से बनी वस्तुएं, मसूर की दाल, लहसुन, प्याज, मांसाहार, शराब, और तामसिक भोजन का पूर्ण रूप से त्याग करना चाहिए। इन चीज़ों का सेवन व्रत को भंग करता है और पुण्य के बजाय दोष की प्राप्ति कराता है। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी पर चावल खाने से रज-तम गुणों की वृद्धि होती है, जिससे मन अशांत होता है और व्रत का फल नहीं मिलता।
❌ अपरा एकादशी को क्या न करें?
इस दिन कुछ कार्यों से विशेष रूप से बचना चाहिए। जैसे झूठ बोलना, गाली-गलौज करना, वाणी और आचरण में कटुता लाना, किसी का अपमान करना, व्रत का उपहास उड़ाना और नास्तिक विचार धारण करना। साथ ही इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि अपरा एकादशी के दिन किसी भी जीव की हिंसा न करें और अहिंसा के पथ पर चलें। इससे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
📜 निष्कर्ष (Conclusion)
अपरा एकादशी का व्रत एक ऐसा धार्मिक अवसर है जो न केवल आत्मा की शुद्धि का मार्ग है, बल्कि मोक्ष का द्वार भी खोलता है। यह दिन हमें ईश्वर की भक्ति और आत्मनिरीक्षण का अवसर देता है। व्रत, कथा, पूजन और सेवा के माध्यम से हम अपने जीवन को पवित्र बना सकते हैं। यदि इस दिन श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा की जाए तो जीवन के समस्त कष्ट दूर हो सकते हैं और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
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